fiza Tanvi

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लेखनी प्रतियोगिता -20-Nov-2022

क़लम......



कागज और कलम सा रिश्ता है हमारा.
डोरी और पतंग सा रिश्ता है हमारा.
हम जुदा हो भी कैसे जाये.
साँसे और जिस्म सा रिश्ता है हमारा..

तुम उठो आओ मेरे पास बैठो..
मै तुम्हे सुनाऊ...
कहानी और दास्तां सा रिश्ता है हमारा..

कभी जुदा होने की सोचना भी मत.
मोहब्बत की इफ़तिदा सा रिश्ता है हमारा.

फ़िज़ा तन्वी...

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7 Comments

बहुत ही बेहतरीन रचना

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Punam verma

21-Nov-2022 08:48 AM

Very nice

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Abhinav ji

21-Nov-2022 08:20 AM

Nice 👍👍

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